साहित्य और मै
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नियामतें तेरे दर से मुझ पर यूँ ही बरसा करें |
मैं खाली हाथ लिए झोली लौट आऊँगा ||
जहाँ लगा भी ले ताकत चाहे हो कर मेरे खिलाफ |
मैं तेरे दर पे आ गया हूँ न टल पाउँगा ||
मैं मुजरिम तेरा, मेरे परवर दिगार |
तेरा हूँ लौट कर फिर तुझमें चला आऊँगा ||
भरे बद-सुलूकियों की गठरी सफीनों में |
तूँ जो जलवानशीं हुआ मैं सुधर जाऊँगा ||
तूने बक्शी मुझे जन्नत मेरे मौला |
मैं आब तेरा हो चुका हूँ करम पाउँगा ||
आ गया हूँ तेरे दर पे कर तू मुझपे करम |
तेरा शुकराना रहती दुनियाँ तलक गाऊँगा ||
करेगा क्या कोई मेरा बाल भी बाँका |
तेरी रहमत में आ गया हूँ ना उजड़ पाउँगा ||
भर चुका मेरे पापों का समन्दर |
तूने जो ठुकरा दिया मैं चल भी ना पाउँगा ||
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